मुंबई। प्रोस्टेट बढ़ने को बिनाईन प्रोस्टेटिक हाईपरप्लेसिया (बीपीएच) कहते हैं। 51 से 60 साल के 50% और 80 साल से अधिक उम्र के 90% पुरुषों को बीपीएच है। बीपीएच में प्रोस्टेट बढ़ जाती है, जिससे ब्लैडर और यूरेथ्रा पर दबाव पड़ता है, और मूत्र त्याग करने में दिक्कत होती है। इसका इलाज पारंपरिक रूप से बड़ा चीरा लगाकर सर्जरी की मदद से किया जाता था। पर अब प्रोस्टेट आर्टरी एंबोलाईज़ेशन (पीएई) जैसी मिनिमली इन्वेज़िव सर्जरी ने प्रोस्टेट केयर को बहुत आसान बना दिया है। यह सर्जरी बहुत छोटा चीरा लगाकर हो जाती है, इसलिए रिकवरी का टाईम भी कम होता है, और एक सुरक्षित एवं प्रभावशाली इलाज मिलता है।
डॉ. रोचन पंत, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, डायरेक्टर एवं को-फाउंडर, सी3 मेडिकेयर ने कहा, ‘‘प्रोस्टेट के मरीजों की उम्र ज्यादा हुआ करती है। इस उम्र में पुरुषों को अक्सर अन्य बीमारियाँ भी होती हैं। इसलिए इस इलाज में उनको कितना दर्द होगा, या कौन सी जटिलताएं होंगी, इसे लेकर वो चिंतित हुआ करते हैं। खासकर वो पुरुष ज्यादा फिक्रमंद होते हैं, जिन्हें हृदय की समस्या या कोई अन्य क्रोनिक बीमारी हो। पीएई द्वारा कितनी आसानी से और बिना दर्द के इलाज हो जाता है, यह देखकर मेरे मरीज काफी खुश होते हैं। मैं उनसे यही कहता हूँ कि हम आपकी प्रोस्टेट का इलाज भी कर देंगे और आपको एक भी कपड़ा उतारने की जरूरत नहीं होगी। यूरिनरी कैथरर भी नहीं डालेंगे। यह सुनकर वो बहुत खुश होते हैं। इलाज के बाद वो हमारे पास वापस आते हैं और बताते हैं कि उन्हें कितना स्वस्थ महसूस हो रहा है। उन्हें खुशी होती है कि उन्होंने सर्जरी की बजाय एंबोलाईज़ेशन कराया। वो बताते हैं कि पहले वॉशरूम जाने में उन्हें जो डर लगता था, पीएई कराने के बाद वह पूरी तरह से खत्म हो गया है।’’
प्रोस्टेट को स्वस्थ रखने में फल और सब्जियों के साथ सेहतमंद आहार तथा नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और शुगर को बढ़ने न दें। अगर प्रोस्टेट बढ़ जाए, तो डॉक्टर से मिलकर प्रोस्टेट आर्टरी एंबोलाईज़ेशन जैसी मिनिमली इन्वेज़िव प्रक्रिया के बारे में बात करें। यह जल्दी आराम देने वाला एक सुरक्षित इलाज है, जो जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करता है।