ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जेडीयू की कमान अपने हाथ में ले ली है। ऐसा कहा जा रहा है कि आरजेडी से उनकी बढ़ रही नजदीकी से जेडीयू नेता काफी असहज हो चुके थे। सूत्र यह भी बताते हैं कि जेडीयू को कमजोर करने की भी साजिश रची गई थी। अगर सूत्रों के द्वारा दी गई इन जानकारियों में सच्चाई है तो नीतीश कुमार के लिए चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। चूंकि, आरजेडी, सपा या बीएसपी जैसी पार्टियों की तरह जेडीयू पारिवारिक पार्टी नहीं है। हालांकि, इसका कंट्रोल नीतीश कुमार के हाथों में है। ऐसे में इस दल के भविष्य वजूद को लेकर भी खतरा मंडराने लगा है।
ललन सिंह जैसे करीबी नेता से जेडीयू की बागडोर छीनने वाले नीतीश कुमार ने बीते कुछ महीने पहले संकेत दिया था है कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की अगुवाई तेजस्वी यादव के हाथों में होगी। हालांकि, कोई भी यह नहीं कह सकता है कि वास्तव में उनके मन में क्या चल रहा है। वह इतनी आसानी से कुर्सी नहीं छोड़ने वाले नहीं हैं।